मन से मन को जानिए, मन से करिए मेल।
मन का मनका फेरिए, कर का मनका पेल ।।
मन चंचल मन बावरा, मन जहां ठहरे वहीं प्रीत ।
मन के हारे हार है , मन के जीते जीत।।
मन मृग सा भटके सदा, ले कस्तूरी आस।
मन से मन में झाँकिये, सब कुछ मन के पास।।
मन की मन में रह गई, चला गया गर मीत ।
मन को सब फीका लगे, सुनें गजल या गीत।।
मन लगता मनमीत में , मन क्यों रहे उदास।
मन की समझे मनमीत वही, बुझती मन की प्यास ।।
मान-सम्मान जहां ना मिले , मतकर मनवा मेल।
मन से मन बिछुड़े कभी,तो पड़ता दुःख को झेल।।
मन पावन रखना सदा, बसते मन जगदीश।
मन ही मन में जो जपे, मन में मिलते ईश।।.
मन को जब मन की लगी, तब से मन बेचैन।
भूख प्यास तन में नहीं, जागे सारी रैन।।
मन का दीप जलाऊं मैं, प्रियतम बसना आन
Abhinav ji
27-Apr-2023 09:13 AM
Very nice 👍
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VIJAY POKHARNA "यस"
26-Apr-2023 10:21 PM
बहुत सुंदर रचना
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डॉ. रामबली मिश्र
26-Apr-2023 09:59 PM
बहुत खूब
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